अजमेर शहर की स्थापना दिवस के अवसर पर दयानंद महाविद्यालय में शनिवार को अजय मेरु स्थापना दिवस के उपलक्ष में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सेवानिवृत्त प्रोफेसर पीके माथुर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अजमेर शहर के स्थापना से लेकर वर्तमान तक इतिहास पर अपने विचार रखे उन्होंने बताया कि वर्तमान शहर अपने विकास के लिए धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक ऐतिहासिक आर्थिक राजनैतिक साहित्य खेल आदि सभी क्षेत्रों मैं अपने स्थापना से लेकर वर्तमान तक अमेठी छात्र बनाए हुए हैं प्रोफ़ेसर माथुर ने अपने उद्बोधन में अजमेर शहर के स्थापना से लेकर वर्तमान तक इसकी विशेषताओं के सभी पहलुओं पर अपने विचार रख विद्यार्थियों को संबोधित किया और आने वाली पीढ़ी से आह्वान किया कि वह ऐतिहासिक तथ्यों को ग्रहण करते हुए इतिहास से अपना भविष्य संवारने का प्रयास करें शिक्षा के क्षेत्र में अजमेर एक प्रमुख केंद्र होने के साथ-साथ आर्य समाज का भी है प्रमुख केंद्र रहा है उन्होंने बताया कि मुगल आक्रांता या फिर ब्रिटिश हुकूमत सभी ने अजमेर को केंद्र मानकर अपने अभियानों की शुरुआत अजमेर से ही की धार्मिक नगरी के रूप में भी अजमेर का नाम विश्व के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में आता है महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना के पश्चात अजमेर को ही केंद्र बनाकर विश्व भर में आर्य समाज का डंका बजाया
मीडिया प्रभारी डॉ संत कुमार ने बताया कि कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन के साथ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर डीएवी गान के साथ किया गया इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉक्टर लक्ष्मीकांत द्वारा मुख्य वक्ता प्रोफेसर पीसी माथुर का पुष्प गुच्छ के साथ स्वागत किया गया कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ लक्ष्मीकांत द्वारा प्रोफेसर डीसी माथुर को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका धन्यवाद ज्ञापित किया गया दयानंद महाविद्यालय इतिहास विभाग के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष प्रदीप कुमार कसोटी या द्वारा सभी अतिथियों और विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया मंच का संचालन प्राध्यापक कपिल कुमार के द्वारा किया गया इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ प्रीति सिंह डॉ रितु शिल्पी डॉक्टर रफीक मोहम्मद डॉ वीके वर्मा सहित अनेक प्राध्यापक उपस्थित थे