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प्राचार्य की कलम से



मैं बेहद आभारी हूँ डीएवी कॉलेज प्रबंधकृत समिति ,नई दिल्ली का जिसने मुझे इस कॉलेज के प्राचार्य के रूप में नया कार्यभार दिया , इस हेतु मैं अपनी ऋणात्मकता व्यक्त करता हूँ | यह इस कॉलेज में होने का विशेषाधिकार व सम्मान दोनों हैं ,जिसमे स्वामी दयानन्द  सरस्वती के सिद्धांतों एवं आदर्शों की ऐतिहासिक विरासत हैं | सन 1942 ई. में स्थापित दयानन्द महाविद्यालय अजमेर अपने विशिष्ट गौरवमय इतिहास के साथ डीएवी संस्थानों  में अपनी अलग पहचान रखता है | इस संस्था का लक्ष्य व उद्देश्य विद्यार्थियों को न केवल सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक शिक्षा देना है बल्कि एंग्लो वैदिक विचारधारा द्वारा उनका सर्वांगीण विकास करना भी है | यह महाविद्यालय अखंड परम्पराओं के प्राचीन रूप में प्रतिष्ठित है ,जहां कला ,विज्ञान ,वाणिज्य ,कृषि ,एवं शारीरिक शिक्षा संकाय सुचारु रूप से संचालित हो रहे है | शैक्षणिक वातावरण के उन्नयन के लिए यह आवश्यक है कि विद्यार्थी पूर्ण अनुशासन के साथ साथ अपना सारा ध्यान अपने अध्ययन में केंद्रित करें | प्रतियोगी परीक्षाओं के इस युग में जब तक विद्यार्थी पूर्णत अध्ययन के प्रति खुद को समर्पित नहीं कर देता ,तब तक वह सफल व उज्जवल भविष्य के स्वप्न को साकार नहीं कर सकेगा | हमारे महाविद्यालय के प्राध्यापक ,विशाल भवन व पुस्तकालय ,कंप्यूटर लैब ,प्रयोगशालाएँ ,क्रीड़ा मैदान ,व्यायामशाला ,छात्र छात्रावास ,छात्रा छात्रावास इत्यादि प्रदेश में एक विशिष्ट स्थान रखते है | अतः मेरा विद्यार्थियों से यह आग्रह है कि वे इसका अधिकाधिक लाभ उठाकर अपने शैक्षणिक स्तर का विकास करें | विद्यार्थियों के चहुंमुखी विकास हेतु महाविद्यालय परिवार प्रयासरत रहेगा | पूर्व में भी इस संस्था ने कई नामी गिरामी राजनीतिज्ञ  ,नौकरशाह ,उद्योगपति,अधिकारी ,आई.पी.एस ,आई.ए. एस ,आर.ए.एस.,शिक्षक ,कृषि वैज्ञानिक,फौजी इत्यादि पैदा किये है और भविष्य में भी महाविद्यालय गौरवान्वित पदों पर आसीन व्यक्तियों जैसी विभूतियाँ पैदा करता रहेगा |

                          उज्जवल भविष्य की शुभ कामनाओं सहित